दुआ — Ashmita Acharya

Ashmita Acharya
2 min readDec 26, 2020

पता नहीं हम अब भी ज़िंदा क्यों हैं !

क्या तेरी यादों ने हमें ज़िंदा रखा है ?

या फिर

तुझ से फिर मिलने की उम्मीद ने ??

खैर, मौत — आई नहीं है अभी ;

हालाँकि हर वक़्त हम

मौत से भी बद्दर मौत मरते हैं ।

साँसे —

थमी नहीं है अभी हमारी—

चूंकि सासें लेना तो कब का छोड़ दिया हम ने !

प्रत्युत चलती जाती है — ज़िन्दगी में साँसें —

पटरी में एक के बाद एक आती हुई

रेलगाड़ियों की डिब्बों की तरह !

गाड़ी रोकने से हिचकते हैं हम ।

डरते हैं —

ग़र यहाँ यह सासें थम गयी

तो वहां कहीं तू न रुक जाए !

तुझे तो चलना है अभी —

तुझे तो जीना है अभी —

कहाँ जी पाया है तू ने अब तक तेरी ज़िन्दगी ?

बस,

बहुत कर ली तू ने

देख भाल — दूसरों की !

बस, बहुत देख ली तू ने

दुनियादारी — दूसरों के धुंधले चश्में पहनकर !!

बस, बहुत जी लिया तू ने

तेरी ज़िन्दगी दूसरों के ख़ातिर !!!

अब तू बस,

अपना ख्याल रख ।

अपने नज़रों से देख ।

अपने लिए जी ।

तुझे तो देखनी है अभी —

ख़ुद तेरी नज़रों से

ख़ुदा ने तेरे लिए बनाया दुनियाँ ।

तेरे इश्क़ की मज़ार पर दफ़्न हम

सज़दा करते हैं तेरी ख़ुशी की —

दुआ करते हैं तेरे लिए —

इन साँसें, सिसकियों, सन्नाटें, और खामोशियों के बदले

ख़ुदा बख़्शे तुझे वो सारी ख़ुशी —

ख़ुदा बख़्शे तुझे सिर्फ़ तेरी ख़ुशी —

जो कभी किसी और से तुझको बाँटना न पड़े !!

© Ashmita Acharya

December 25, 2020 / Austin, TX

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