दुआ — Ashmita Acharya
पता नहीं हम अब भी ज़िंदा क्यों हैं !
क्या तेरी यादों ने हमें ज़िंदा रखा है ?
या फिर
तुझ से फिर मिलने की उम्मीद ने ??
खैर, मौत — आई नहीं है अभी ;
हालाँकि हर वक़्त हम
मौत से भी बद्दर मौत मरते हैं ।
साँसे —
थमी नहीं है अभी हमारी—
चूंकि सासें लेना तो कब का छोड़ दिया हम ने !
प्रत्युत चलती जाती है — ज़िन्दगी में साँसें —
पटरी में एक के बाद एक आती हुई
रेलगाड़ियों की डिब्बों की तरह !
गाड़ी रोकने से हिचकते हैं हम ।
डरते हैं —
ग़र यहाँ यह सासें थम गयी
तो वहां कहीं तू न रुक जाए !
तुझे तो चलना है अभी —
तुझे तो जीना है अभी —
कहाँ जी पाया है तू ने अब तक तेरी ज़िन्दगी ?
बस,
बहुत कर ली तू ने
देख भाल — दूसरों की !
बस, बहुत देख ली तू ने
दुनियादारी — दूसरों के धुंधले चश्में पहनकर !!
बस, बहुत जी लिया तू ने
तेरी ज़िन्दगी दूसरों के ख़ातिर !!!
अब तू बस,
अपना ख्याल रख ।
अपने नज़रों से देख ।
अपने लिए जी ।
तुझे तो देखनी है अभी —
ख़ुद तेरी नज़रों से
ख़ुदा ने तेरे लिए बनाया दुनियाँ ।
तेरे इश्क़ की मज़ार पर दफ़्न हम
सज़दा करते हैं तेरी ख़ुशी की —
दुआ करते हैं तेरे लिए —
इन साँसें, सिसकियों, सन्नाटें, और खामोशियों के बदले
ख़ुदा बख़्शे तुझे वो सारी ख़ुशी —
ख़ुदा बख़्शे तुझे सिर्फ़ तेरी ख़ुशी —
जो कभी किसी और से तुझको बाँटना न पड़े !!
© Ashmita Acharya
December 25, 2020 / Austin, TX